Republic Day 2025: Theme, chief guest this year, history, significance; all you need to know about January 26

Republic Day 2025: Theme, chief guest this year, history, significance; all you need to know about January 26




गणतंत्र दिवस भारत का एक प्रमुख राष्ट्रीय पर्व है, जिसे हर वर्ष 26 जनवरी को पूरे उत्साह और गर्व के साथ मनाया जाता है। इस दिन, 1950 में, भारत का संविधान लागू हुआ था, जिससे देश एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य बना। गणतंत्र दिवस न केवल हमारे संविधान की महत्ता को दर्शाता है, बल्कि यह हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों, विविधता में एकता और राष्ट्रीय एकजुटता का प्रतीक भी है।

गणतंत्र दिवस 2025: थीम और मुख्य अतिथि

प्रत्येक वर्ष गणतंत्र दिवस समारोह के लिए एक विशेष थीम निर्धारित की जाती है, जो देश की वर्तमान प्राथमिकताओं, उपलब्धियों या सांस्कृतिक धरोहरों को उजागर करती है। हालांकि, 2025 के गणतंत्र दिवस की थीम की आधिकारिक घोषणा अभी तक नहीं हुई है। सरकार द्वारा थीम की घोषणा के बाद, यह जानकारी सार्वजनिक की जाएगी।

मुख्य अतिथि के रूप में, गणतंत्र दिवस समारोह में विदेशी राष्ट्राध्यक्षों या सरकार प्रमुखों को आमंत्रित करने की परंपरा रही है। 2025 के गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि के बारे में आधिकारिक पुष्टि अभी प्रतीक्षित है। जैसे ही सरकार द्वारा मुख्य अतिथि की घोषणा की जाएगी, यह जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी।

गणतंत्र दिवस का इतिहास

15 अगस्त 1947 को भारत ने ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की, लेकिन उस समय देश के पास अपना स्वयं का संविधान नहीं था। स्वतंत्रता के बाद, एक संविधान सभा का गठन किया गया, जिसने 26 नवंबर 1949 को संविधान को अंगीकार किया। हालांकि, इसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया। 26 जनवरी की तिथि का चयन इसलिए किया गया क्योंकि 1930 में इसी दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने लाहौर अधिवेशन में 'पूर्ण स्वराज' की घोषणा की थी।

संविधान लागू होने के साथ ही, भारत एक गणराज्य बन गया, जहां सर्वोच्च शक्ति जनता के पास होती है, और वे अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं। डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने देश के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली और 21 तोपों की सलामी के साथ राष्ट्रीय ध्वज फहराया।




गणतंत्र दिवस का महत्व

गणतंत्र दिवस भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों का उत्सव है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हम सब बराबर हैं और देश के शासन में हमारी भी भागीदारी है। यह दिन देश की कई जातियां, संस्कृतियां और धर्मों को एकजुट होने का अवसर देता है। गणतंत्र दिवस हमें हमारे संविधान के महत्व की याद दिलाता है, जो हमारे अधिकारों और कर्तव्यों को परिभाषित करता है।

यह दिन हमें हमारे संविधान की ताकत और लोकतंत्र के प्रति हमारी प्रतिबद्धता की याद दिलाता है। 26 जनवरी 1950 को भारत एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य बना।

गणतंत्र दिवस समारोह

गणतंत्र दिवस के अवसर पर, राजधानी दिल्ली के कर्तव्य पथ (पूर्व में राजपथ) पर एक भव्य परेड का आयोजन किया जाता है। इस परेड में भारतीय सेना, नौसेना, वायुसेना, अर्धसैनिक बल, एनसीसी कैडेट्स, और विभिन्न राज्यों की झांकियां शामिल होती हैं, जो देश की सांस्कृतिक विविधता और सैन्य शक्ति का प्रदर्शन करती हैं।

परेड की शुरुआत प्रधानमंत्री द्वारा इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने से होती है। इसके बाद, राष्ट्रपति राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं और 21 तोपों की सलामी दी जाती है। परेड में विभिन्न राज्यों की झांकियां, सांस्कृतिक कार्यक्रम, सैन्य उपकरणों का प्रदर्शन, और वायुसेना के हवाई करतब शामिल होते हैं।

देशभर में, राज्य और जिला स्तर पर भी गणतंत्र दिवस समारोह आयोजित किए जाते हैं, जहां ध्वजारोहण, परेड, सांस्कृतिक कार्यक्रम, और देशभक्ति गीतों के माध्यम से इस दिन का उत्सव मनाया जाता है। शिक्षण संस्थानों में बच्चों द्वारा देशभक्ति से ओत-प्रोत प्रस्तुतियां दी जाती हैं, और विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है।

गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि

गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में विदेशी राष्ट्राध्यक्षों या सरकार प्रमुखों को आमंत्रित करने की परंपरा रही है। यह परंपरा भारत की 'अतिथि देवो भव:' की संस्कृति को दर्शाती है और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को मजबूत करने का एक माध्यम है।

1950 में पहले गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो थे। तब से लेकर अब तक, विभिन्न देशों के प्रमुख इस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हो चुके हैं। 2024 में, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों मुख्य अतिथि थे।

2025 के गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि के बारे में आधिकारिक पुष्टि अभी प्रतीक्षित है। जैसे ही सरकार द्वारा मुख्य अतिथि की घोषणा की जाएगी, यह जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी।




गणतंत्र दिवस 2025: विशेष पहल

गणतंत्र दिवस 2025 के अवसर पर, परेड की थीम 'स्वर्णिम भारत: विरासत और विकास' रखी गई है, जो देश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और विकास की यात्रा को दर्शाती है। इस परेड में संविधान के 75 वर्षों के उत्सव को प्रदर्शित करने वाली दो विशेष झांकियां शामिल की जाएंगी। 


मुख्य अतिथि के रूप में, गणतंत्र दिवस समारोह में विदेशी राष्ट्राध्यक्षों या सरकार प्रमुखों को आमंत्रित करने की परंपरा रही है। 2025 के गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि के बारे में आधिकारिक पुष्टि अभी प्रतीक्षित है। जैसे ही सरकार द्वारा मुख्य अतिथि की घोषणा की जाएगी, यह जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी।


गणतंत्र दिवस के अवसर पर, राष्ट्रपति का भाषण एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, जिसमें वे देश की उपलब्धियों, चुनौतियों और भविष्य की दिशा पर अपने विचार प्रस्तुत करते हैं। राष्ट्रपति का यह संबोधन देशवासियों के लिए प्रेरणा का स्रोत होता है और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने में सहायक होता है। 


गणतंत्र दिवस के अवसर पर, राजधानी दिल्ली के कर्तव्य पथ (पूर्व में राजपथ) पर एक भव्य परेड का आयोजन किया जाता है। इस परेड में भारतीय सेना, नौसेना, वायुसेना, अर्धसैनिक बल, एनसीसी कैडेट्स, और विभिन्न राज्यों की झांकियां शामिल होती हैं, जो देश की सांस्कृतिक विविधता और सैन्य शक्ति का प्रदर्शन करती हैं।


परेड की शुरुआत प्रधानमंत्री द्वारा इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने से होती है। इसके बाद, राष्ट्रपति राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं और 21 तोपों की सलामी दी जाती है। परेड में विभिन्न राज्यों की झांकियां, सांस्कृतिक कार्यक्रम, सैन्य उपकरणों का प्रदर्शन, और वायुसेना के हवाई करतब शामिल होते हैं।


देशभर में, राज्य और जिला स्तर पर भी गणतंत्र दिवस समारोह आयोजित किए जाते हैं, जहां ध्वजारोहण, परेड, सांस्कृतिक कार्यक्रम, और देशभक्ति गीतों के माध्यम से इस दिन का उत्सव मनाया जाता है। शिक्षण संस्थानों में बच्चों द्वारा देशभक्ति से ओत-प्रोत प्रस्तुतियां दी जाती हैं, और विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है।


गणतंत्र दिवस के अवसर पर, राष्ट्रपति का भाषण एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, जिसमें वे देश की उपलब्धियों, चुनौतियों और भविष्य की दिशा पर अपने विचार प्रस्तुत करते हैं। राष्ट्रपति का यह संबोधन देशवासियों के लिए प्रेरणा का स्रोत होता है और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने में सहायक होता है। 


गणतंत्र दिवस के अवसर पर, राजधानी दिल्ली के कर्तव्य पथ (पूर्व में राजपथ) पर एक भव्य परेड का आयोजन किया जाता है। इस परेड में भारतीय सेना, नौसेना, वायुसेना, अर्धसैनिक बल, एनसीसी कैडेट्स, और विभिन्न राज्यों की झांकियां शामिल होती हैं, जो देश की सांस्कृतिक विविधता और सैन्य शक्ति का प्रदर्शन करती हैं।


परेड की शुरुआत प्रधानमंत्री द्वारा इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने से होती है। इसके बाद, राष्ट्रपति राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं और 21 तोपों की सलामी दी जाती है। परेड में विभिन्न राज्यों की झांकियां, सांस्कृतिक कार्यक्रम, सैन्य उपकरणों का प्रदर्शन, और वायुसेना के हवाई करतब शामिल होते हैं।


देशभर में, राज्य और जिला स्तर पर भी गणतंत्र दिवस समारोह आयोजित किए जाते हैं, जहां ध्वजारोहण, परेड, सांस्कृतिक कार्यक्रम, और देशभक्ति गीतों के माध्यम से इस दिन का उत्सव मनाया जाता है। शिक्षण संस्थानों में बच्चों द्वारा देशभक्ति से ओत-प्रोत प्रस्तुतियां दी जाती हैं, और विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है।


गणतंत्र दिवस के अवसर पर, राष्ट्रपति का भाषण एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, जिसमें वे देश की उपलब्धियों, चुनौतियों और भविष्य की दिशा पर अपने विचार प्रस्तुत करते हैं। राष्ट्रपति का यह संबोधन देशवासियों के लिए प्रेरणा का स्रोत होता है और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने में सहायक होता है। 


गणतंत्र दिवस के अवसर पर, राजधानी दिल्ली के कर्तव्य पथ (पूर्व में राजपथ) पर एक भव्य परेड का आयोजन किया जाता है। इस परेड में भारतीय सेना, नौसेना, वायुसेना, अर्धसैनिक बल, एनसीसी कैडेट्स, और विभिन्न राज्यों की झांकियां शामिल होती हैं, जो देश की सांस्कृतिक विविधता और सैन्य शक्ति का प्रदर्शन करती हैं।


परेड की शुरुआत प्रधानमंत्री द्वारा इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने से होती है। इसके बाद, राष्ट्रपति राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं और 21 तोपों की सलामी दी जाती है। परेड में विभिन्न राज्यों की झांकियां, सांस्कृतिक कार्यक्रम, सैन्य उपकरणों का प्रदर्शन, और वायुसेना के हवाई करतब शामिल होते हैं।


देशभर में, राज्य और जिला स्तर पर भी गणतंत्र दिवस समारोह आयोजित किए जाते हैं, जहां ध्वजारोहण, परेड, सांस्कृतिक कार्यक्रम, और देशभक्ति गीतों के माध्यम से इस दिन का उत्सव मनाया जाता है। शिक्षण संस्थानों में बच्चों द्वारा देशभक्ति से ओत-प्रोत प्रस्तुतियां दी जाती हैं, और विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है।


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